EPFO Rules Change: ईपीएफओ ने नौकरी बदलने वाले कर्मचारियों के लिए बड़ा बदलाव किया है. अब पीएफ ट्रांसफर प्रक्रिया ऑटोमैटिक हो गई है, जिसमें नियोक्ता की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी. एक ही यूएएन से सभी खाते जुड़ जाएंगे और आधार आधारित ई-केवाईसी से सत्यापन तुरंत होगा. नई व्यवस्था से ट्रांसफर 7-10 दिनों में पूरा होगा और ब्याज भी मिलता रहेगा. यह बदलाव करोड़ों कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत साबित होगा.
EPFO Rules Change: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO ) ने अपने करीब 8 करोड़ सक्रिय सदस्यों के लिए एक बड़ा बदलाव किया है. अब नौकरी बदलने पर ईपीएफ खाते की राशि ऑटोमेटिक नए खाते में ट्रांसफर हो जाएगी. पहले यह प्रक्रिया नियोक्ता की मंजूरी और मैन्युअल दावे पर निर्भर थी, लेकिन अब ऑटोमेटिक सिस्टम के जरिए यह ट्रांसफर सीधे ईपीएफओ द्वारा किया जाएगा. इससे कर्मचारियों को अब लंबी प्रक्रिया और एचआर के चक्कर लगाने की परेशानी से छुटकारा मिलेगा.
नियोक्ता की मंजूरी की जरूरत नहीं
पहले जब कोई कर्मचारी नौकरी बदलता था, तो उसे फॉर्म 13 भरकर पुराने नियोक्ता से सत्यापन करवाना पड़ता था. कई बार इस प्रक्रिया में हफ्तों या महीनों लग जाते थे, क्योंकि नियोक्ता की मंजूरी देर से मिलती थी. लेकिन, अब ईपीएफओ ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह सरल और डिजिटल बना दिया है. जब कोई कर्मचारी नई नौकरी ज्वाइन करता है और उसका नया नियोक्ता ज्वाइनिंग डेट अपडेट करता है, तो सिस्टम अपने आप ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू कर देता है. नतीजतन, कर्मचारी को अब अलग से कोई दावा दर्ज करने या नियोक्ता से अनुमोदन लेने की जरूरत नहीं पड़ती. इससे क्लेम प्रोसेसिंग टाइम में भारी कमी आई है.
जीवनभर के लिए एक ही यूएएन
ईपीएफओ ने अब यह सुनिश्चित किया है कि हर कर्मचारी के पास जीवनभर केवल एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) रहेगा. पहले प्रशासनिक त्रुटियों के कारण कई बार एक ही कर्मचारी के दो या अधिक यूएएन बन जाते थे, जिससे ट्रांसफर या निकासी में दिक्कतें आती थीं. अब सिस्टम इस तरह अपडेट किया गया है कि अगर किसी कर्मचारी का यूएएन पहले से मौजूद है, तो नया यूएएन बनने से रोक दिया जाएगा. आधार नंबर और ई-केवाईसी आधारित सत्यापन से यह सुनिश्चित किया गया है कि पुराना और नया पीएफ खाता एक ही यूएएन से जुड़ा रहेगा. इससे खातों को मर्ज करने की झंझट खत्म हो गई है.
आधार और ई-केवाईसी से नियोक्ता सत्यापन
पहले, ईपीएफ ट्रांसफर प्रक्रिया में सबसे बड़ी अड़चन थी. इसमें नियोक्ता के हस्ताक्षर का मेल न खाना, अधूरा केवाईसी या ज्वाइनिंग और एग्जिट डेट का बेमेल होना शामिल है. अब ईपीएफओ ने इसे पूरी तरह डिजिटाइज्ड और ऑटो-वेरिफाइड बना दिया है. अब ट्रांसफर प्रक्रिया में आधार-आधारित ई-साइन, केवाईसी ऑटो वेरिफिकेशन और एपीआई इंटीग्रेशन के जरिए नियोक्ता और ईपीएफओ सिस्टम के बीच रियल-टाइम डेटा एक्सचेंज होता है. पहले जहां ट्रांसफर को पूरा होने में 30 से 45 दिन लगते थे. वहीं, अब यह प्रक्रिया 7 से 10 दिनों में पूरी हो जाती है. कभी-कभी तो इससे भी जल्दी काम हो जाता है.
पासबुक में दिखेगा कम्बाइन्ड बैलेंस
पहले कर्मचारियों को यह जांचने के लिए पुरानी और नई दोनों ईपीएफ पासबुक की तुलना करनी पड़ती थी कि पैसा ट्रांसफर हुआ या नहीं. अब यह काम भी सिस्टम अपने आप कर देगा. जैसे ही ट्रांसफर पूरा होता है, पुरानी पासबुक में “जीरो बैलेंस” दिखेगा और नई पासबुक में कुल संयुक्त बैलेंस (कम्बाइन्ड बैलेंस) शो करेगा. इससे कर्मचारियों को अपने योगदान और ब्याज की निरंतरता देखने में आसानी होगी और निवेश ट्रैकिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी.
नियोक्ता के लिए एग्जिट डेट अपडेट करना जरूरी
पहले ट्रांसफर प्रक्रिया में देरी का एक बड़ा कारण था कि पुराने नियोक्ता ने कर्मचारी की एग्जिट डेट अपडेट नहीं की होती थी. अब ईपीएफओ ने इसे अनिवार्य कर दिया है. अगर नियोक्ता तय समय सीमा में एग्जिट डेट अपडेट नहीं करता है, तो अब कर्मचारी खुद आधार ओटीपी के जरिए यह जानकारी दर्ज कर सकता है. सिस्टम इसे ऑटो वेरिफाई कर लेता है, जिससे ट्रांसफर में किसी प्रकार की देरी नहीं होती. यह बदलाव उन कर्मचारियों के लिए बेहद फायदेमंद है, जिनके पिछले नियोक्ता सहयोग नहीं करते थे.
ट्रांसफर के दौरान ब्याज मिलना जारी रहेगा
पहले अगर ट्रांसफर में कई महीने लग जाते थे, तो पुराने खाते पर ब्याज मिलना बंद हो जाता था. इससे कर्मचारियों का ब्याज नुकसान होता था. ईपीएफओ ने अब स्पष्ट किया है कि ट्रांसफर पूरा होने तक ब्याज मिलता रहेगा, चाहे प्रक्रिया में समय लगे या न लगे. इससे यह सुनिश्चित होता है कि कर्मचारियों का रिटायरमेंट कॉरपस बिना किसी रुकावट के बढ़ता रहे.
JSSC Kakshpal Vacancy : झारखंड जेल वार्डर भर्ती की आवेदन प्रक्रिया टली, आयोग ने नई तिथि पर क्या कहा?

